इस वजह से भारत में बढ़ रही है विदेशी मरीजों की भीड़

इस वजह से भारत में बढ़ रही है विदेशी मरीजों की भीड़

सेहतराग टीम

देश के किसी भी बड़े शहर के किसी बड़े पांच सितारा अस्‍पताल में चले जाइए, आपको वहां विदेशी मरीजों की अच्‍छी खासी संख्‍या दिखेगी जो इलाज के लिए अपना देश छोड़कर भारत का रुख कर रहे हैं। आम भाषा में इसे मेडिकल टूरिज्‍म कहा जाता है यानी सिर्फ इलाज करवाने के लिए दूसरे देश की यात्रा करना। हिंदुस्‍तान में कॉरपोरेट अस्‍पतालों की संस्‍कृति के फैलने के साथ ही मेडिकल टूरिज्‍म की भी शुरुआत हो गई थी और आज इसकी वृद्धि दर सालाना 15 फीसदी तक पहुंच चुकी है।

कितने की हो चुकी है मेडिकल टूरिज्‍म इंडस्‍ट्री

साल 2015 में देश का मेडिकल टूरिज्‍म उद्योग 3 अरब डॉलर का था जो कि डॉलर और रुपये के वर्तमान विनिमय दर के हिसाब से करीब करीब 20500 करोड़ रुपये होता है। पूरी दुनिया के मेडिकल टूरिज्‍म क्षेत्र में भारत की हिस्‍सेदारी अभी 18 फीसदी है।

देश के उद्योगों के संगठन फ‍िक्‍की और स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के फर्म आईएमएस हेल्‍थ की रिपोर्ट को सही मानें तो सिर्फ दो साल के अंदर यानी साल 2020 तक भारत का मेडिकल टूरिज्‍म क्षेत्र 9 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा और वैश्विक मेडिकल टूरिज्‍म क्षेत्र में भारत की हिस्‍सेदारी 20 फीसदी हो जाएगी।

क्‍यों आती है मेडिकल टूरिज्‍म की नौबत

सीधे से उदाहरण से समझें। जिस तरह हमारे अपने देश के अलग-अलग राज्‍यों के मरीज बेहतर इलाज की तलाश में बड़े शहरों के बड़े अस्‍पतालों का रुख करते हैं वैसे ही दुनिया के ऐसे देशों जहां का स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र भारत तथा अन्‍य बड़े और विकसित देशों के मुकाबले बेहद पिछड़ा हुआ है, वहां के लोग इन बड़े देशों का रुख करते हैं। चूंकि भारत में बड़े कॉरपोरेट अस्‍पताल विश्‍वस्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मुहैया कराने लगे हैं इसलिए यहां अब विदेशी मरीजों की भीड़ बढ़ने लगी है। इलाज के लिए भारत आने वाले मरीजों में से बड़ा हिस्‍सा मध्‍य पूर्व के अरब देशों, अफ्रीका के देशों, अफगानिस्‍तान आदि के मरीजों का होता है।

वैकल्पिक च‍िकित्‍सा प्रणाली

सिर्फ कॉरपोरेट अस्‍पताल ही नहीं बल्कि भारत में मेडिकल टूरिज्‍म बढ़ने की एक बड़ी वजह वहां एलोपैथी के साथ-साथ अन्‍य वैकल्‍पि‍क च‍िकित्‍सा प्रणालियों का मौजूद होना भी है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्‍सा प्रणाली, प्राकृतिक चि‍कित्‍सा प्रणाली आदि भी विदेशियों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेते हैं। कई विदेशी मरीज तो विभिन्‍न योग आश्रमों में अपनी समस्‍याओं का समाधान तलाश करते दिख जाते हैं। इसका प्रत्‍यक्ष अनुभव आपको हरिद्वार और ऋषिकेश जैसी जगहों पर हो सकता है। इसी प्रकार केरल में आयुर्वेदिक केंद्रों में विदेशी बड़ी संख्‍या में दिख जाते हैं।

किन बीमारियों में करते हैं भारत का रुख

सवाल है कि विदेशी मरीज सबसे अधिक किन बीमारियों के इलाज के लिए भारत का रुख करते हैं। इस बारे में हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष पद्मश्री डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि भारत में हृदयरोग, हड्डीरोग, विभिन्‍न तरह के ट्रांसप्‍लांट, आंख की समस्‍याओं का सटीक इलाज होता है। वेलनेस इंडस्‍ट्री में भारत की साख पूरी दुनिया में जम चुकी है। वैकल्पिक चिकित्‍सा की विश्‍वसनीयता भी बहुत अधिक है। साथ ही भारत में इलाज कराना बेहद सस्‍ता भी पड़ता है जिसके कारण विदेशी मरीज कहीं और जाने की सोचते भी नहीं। इसी प्रकार कायाकल्‍प इंडस्‍ट्री में भी विदेशियों की भरमार है।

पर्यटन स्‍थलों की भी कमी नहीं

सिर्फ इलाज की ही बात नहीं है। दरअसल भारत में इतने विविध तरह के पर्यटन स्‍थल हैं जो सहज ही विदेशियों को अपनी ओर आकृष्‍ट करते हैं। ऐसे में यदि किसी को इलाज कराने के लिए भारत आना पड़े तो वो एक पंथ दो काज यानी इलाज के साथ भारत भ्रमण की योजना भी बना सकता है।

किन देशों के मरीज सबसे अधिक

भारत आने वाले मरीजों में सबसे अधिक संख्‍या भारत के दो नजदीकी देशों बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के लोगों की है। एक अनुमान के अनुसार साल 2017 में सिर्फ बांग्‍लादेश से करीब 2.21 लाख मरीज इलाज कराने भारत आए।  

जैसा कि डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं, भारत सरकार ने भी मेडिकल टूरिज्‍म को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और उनमें से एक कदम है मेडिकल एंड वेलनेस टूरिज्‍म बोर्ड का गठन करना। इस बोर्ड में भारत सरकार के अधिकारियों के अलावा मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोग, वै‍कल्पिक चि‍कित्‍सा प्रणाली के शेयरधारक, आतिथ्‍य क्षेत्र के विशेषज्ञ और पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञों के अलावा अन्‍य हिस्‍सेदारों को शामिल किया गया है।

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